मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष �
मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष �